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चुनाव ला सकता है तीसरी लहर: देखें ओमिक्रॉन का कहर

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लखनऊ। Elections may bring third wave: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने 23 दिसंबर को पीएम मोदी और चुनाव आयोग से एक अपील की। उन्होंने कहा 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है।

उनकी इस अपील ने 7 महीने पहले मद्रास हाईकोर्ट के उस बयान की याद दिला दी। जिसमें कोर्ट ने कहा था, 'कोरोना फैलाने के लिए इलेक्शन कमीशन के अधिकारियों पर मर्डर केस भी दर्ज किया जाए तो कम है।Ó

हाईकोर्ट के इन दोनों बयानों में एक फर्क और एक समानता है। फर्क ये है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का बयान पांच राज्यों के चुनाव से पहले आया है, और मद्रास हाईकोर्ट का चुनाव के बाद आया था। समानता ये है कि दोनों बयान चुनाव की वजह से कोरोना फैलने पर चिंता जताने वाले हैं।

हम यहां आपको मार्च-अप्रैल 2021 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कोरोना की तस्वीर पेश कर रहे हैं। इससे ये समझने की कोशिश करेंगे कि आने वाले चुनाव में कोरोना कितना कहर मचाएगा? साथ ही कोरोना के नए वैरिएंट और दुनियाभर में इससे पैदा हो रहे भयानक हालात के बारे में जानेंगे।

दो महीने बाद मार्च में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव होने हैं। चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बीते महीने क्क समेत पांचों राज्यों में समय पर चुनाव कराने के संकेत दिए हैं। इससे पहले दिसंबर 2021 में ही कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढऩे लगे हैं।

2 दिसंबर को देश में ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया था। 22 दिन बाद 24 दिसंबर को देश भर में ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़कर 360 हो गए हैं। यही नहीं, ओमिक्रॉन की एंट्री के बाद भारत में कोरोना के मामले में भी बढ़ोतरी हुई है। भारत में 24 दिसंबर तक कोरोना संक्रमण के कुल मामले 3.42 करोड़ सामने आ चुके हैं। अब भी देश में कोरोना के 1.52 लाख मामले सक्रिय हैं।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि डेल्टा की तुलना में वैरिएंट दोगुनी रफ्तार से बढ़ता है। साथ ही प्रोफेसर मणींद्र ने कहा कि तीसरी लहर का पीक जनवरी के अंतिम या फरवरी के शुरुआती सप्ताह में हो आ सकता है। उन्होंने कहा है कि पीक पर कोविड केस 1.5 लाख तक जा सकते हैं। ऐसे में मार्च या अप्रैल में चुनाव होता है तो साफ है कि देश में कोरोना की सुनामी आ सकती है।

पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में विधानसभा चुनाव हुए। यह अब तक का सबसे अधिक लंबे समय तक चलने वाला असेंबली इलेक्शन था। विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण तक बंगाल में कोरोना के कुल मामले में 900 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2 अप्रैल 2021 को बंगाल में कोरोना के 1723 नए मामले सामने आए थे और एक भी मौत नहीं हुई। चुनाव के बाद 2 मई 2021 को नए मामलों की संख्या बढ़कर 17,515 हो गई और एक दिन में 100 लोगों की मौत हुई।

सभी चुनावी राज्यों पर नजर डालें तो असम, बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में 15 अप्रैल को कुल कोरोना केस 26594 थे, महीने भर बाद 15 मई को 92794 हो गए। इसी तरह इतने दिन में मौतों की संख्या 112 से बढ़कर 626 हो गई। यही नहीं 15 मई को देश भर के कुल नए मामले का 29 प्रतिशत सिर्फ इन 5 राज्यों में सामने आए थे।

उत्तर प्रदेश में अप्रैल 2020 में पंचायत चुनाव हुए थे। महज एक महीने में कुल चार चरणों में चुनाव कराए गए थे। इस दौरान 4 अप्रैल से 4 मई के बीच कोरोना के करीब 8 लाख नए केस क्क में सामने आए थे। यही नहीं शिक्षकों की यूनियन ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि करीब 700 शिक्षकों की मौत कोरोना से हुई। यूनियन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ये सभी टीचर्स चुनाव ड्यूटी पर गए थे।

चुनाव रिजल्ट आने के बाद 99 ऐसे प्रधान उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई, जिनकी मौत इस एक महीने में हुई। ऐसे में पंचायत चुनाव के बाद की भयावह स्थिति राज्य में न बने इसके लिए ओमिक्रॉन को रोकना बेहद जरूरी है। सरकार और इलेक्शन कमीशन के एक गलत फैसले से जनता की जान पर आफत बन सकती है।

आने वाले पांच राज्यों के चुनावों में कोरोना कितना कहर बरपाएगा, इसका ठीक-ठीक अंदाजा तो किसी को भी नहीं है। एक्सपर्ट भी इस मामले में संभलकर बोल रहे हैं। लेकिन पुराने अनुभव और अनुमान इसकी भयावहता की तरफ इशारा कर रहे हैंज्

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि तीसरी लहर का पीक जनवरी के अंतिम या फरवरी के शुरुआती सप्ताह में हो सकता है। पीक पर कोविड केस 1.5 लाख तक जा सकते हैं। ऐसे में अगर मार्च-अप्रैल में चुनाव होते हैं तो भयानक स्थिति खड़ी हो सकती है।
कोरोना के बढ़ते मामले को नजरअंदाज कर चुनाव कराए जाते हैं तो इस बार दूसरी लहर से भी ज्यादा डरावनी स्थिति बन सकती है। 

वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के विशषज्ञों ने ओमिक्रॉन को हल्के लक्षण वाला यानी कि 'सुपर माइल्ड' वैरिएंट कहा है। माइल्ड होने की वजह से यह चुपके से धीरे-धीरे संक्रमण फैलाता है। यही नहीं ओमिक्रॉन एंडीबॉडी बनने के बाद भी लोगों को संक्रमित कर सकता है।